देहव्यापार का कारोबार वैसे तो बरसो पुराना है,हाँ ये जरुर है की बदलते वक्त के साथ जिस्म का कारोबार जितनी तेजी से फला-फुला उतनी ही तेजी से उसके तौर तरीको में भी बदलाव आया...आज हाईटेक तरीके से जिस्म का कारोबार हो रहा है...जिस काम को बरसो पहले जाति,वर्ग विशेष या फिर बेहद जरूरतमंद महिलाए किया करती थी वो अब शौक के साथ साथ रूपये कमाने का सबसे आसान तरीका बन चूका है...आज इन्टरनेट के जरिये देश,विदेश की कॉलगर्ल्स बड़ी ही आसानी से उपलब्ध है...हाईटेक हो चुके दलाल एडवांस बुकिंग करते है और निर्धारित जगह पर कालगर्ल पहुंचा दी जाती है...अब तो कई मोबाइल कंपनियों ने थ्री जी की सेवाए उपलब्ध करा दी है लिहाजा जिस्म का सौदा करने में और भी आसानी हो गई है....वैसे भी इस देश में सूचना क्रान्ति का असल उपयोग अपराध से वास्ता रखने वालो ने ही किया है...अब इन्टरनेट और मोबाइल के जरिये जिस्म बिक जाता है और क़ानून के रखवाले बेबस.लाचार थानों में बैठे सूचना आने का इन्तजार करते है... बिलासपुर शहर में देहव्यापार के कारोबार ने बेहद तेजी से पाँव पसारा है,प्रमाण की जरुरत नही है क्यूंकि पुलिस की कई कारवाही ने शहर में मुंबई,कोलकाता,दिल्ली और दूसरे प्रान्तों की लड़कियों को पकड़कर साफ़ कर दिया है छत्तीसगढ़ गरीबो का प्रान्त नही रहा...मै ये मानता हूँ की राज्य बनने के बाद जितनी तेजी से कुछ सड़कछाप नव कुबेर बने ठीक उसी तरह से जिस्म नोचने वाले इंसान रूपी भेड़ियों की जैसे बाढ़ सी आ गई...कल के कुछ स्थानीय अखबारों में एक खबर छपी थी जिसमे उल्लेख था की पुलिस ने राजकिशोर नगर के एक रिहायशी मकान में दबिश देकर दो लड़की,तीन ग्राहक और एक महिला को गिरफ्तार कर पीटा एक्ट के तहत कारवाही की गई है...हमारे जैसे खबरनवीश कहलाने वालो के लिए वो केवल खबर थी,लेकिन जिन लोगो का बाजार की गतिविधिओ से ज्यादा वास्ता नही है वो खबर उनके लिए थोड़ी सी आश्चर्य वाली है....वो लोग सोचने लगते है की महज ११ साल का छतीसगढ़ इतनी तेजी से महानगरीय परम्परा के आवरण से ढका जा रहा है...? ऐसे कई सवाल है जो शहर के संभ्रांत लोगो को कुछ और सोचने पर मजबूर कर देते है...मगर जिस्म के कारोबारियों और रुपयों की हवस मिटाने के लिए कहीं भी किसी के भी साथ हम बिस्तर होने को मचलती वेश्याओ को वैसी खबरों से खास फर्क नही पड़ता...पड़े भी क्यूँ...? कानून के रखवाले बने चन्द वर्दी वालो ने उन नामचीन वेश्याओ को और उनके दलालों को पनाह जो दे रखी है...
कुछ लोग मेरी इस दलील से सहमात न भी हो मगर ये हकीकत है की शहर और आस-पास की सरहद में जिस्म का कारोबार बिना खाकी के आशीर्वाद से नही फल-फूल सकता...हाँ ये दीगर बात है की समय-समय पर कारवाही के नाम पर कुछ काल गर्ल्स और एक्का-दुक्का दलालों को पकड़कर क़ानून के वो कथित रखवाले "देश भक्ति-जनसेवा" कर देते है...सरकंडा पुलिस की खासकर वहां के थानेदार साहेब की हाल ही की एक करतूत मुझे याद आ गई...पिछले महीने उन्हें किसी मुखबिर के जरिये सूचना हुई की इलाके के विज्यापुरम में भारत सिन्धी नाम का एक बन्दा फलेट लेकर बड़े पैमाने पर जिस्म की बिक्री कर रहा है...दरोगा बाबू के कान खड़े हुए और देखते ही देखते जिस्म बेचने वाला वो सिन्धी युवक दो महिलाओ के साथ हवालात ले आया गया...चूँकि दरोगा बाबू की नियत में खोट था इस कारण मिडिया से खबर को छिपाने की कोशिश की गई,हालांकि खबरे अखबारों में छपी,चैनलों में दिखाई गई मगर वो जिस्म का दलाल कहीं से कहीं तक नजर नही आया क्यूंकि खाकी पहने उस दरोगा ने उसे अपना रिश्तेदार बना लिया था...जी हाँ जिस्म बिकवाने वाले दलाल से बिका वो दरोगा अकेला नही है,जिले के कई थानों में वैसे कर्तव्य निष्ठ थानेदार पड़े है...
शहर में सीमा,निशा,उषा,सोफिया,पायल नेहा,और ना जाने कितनी मशहूर कॉल गर्ल्स है,जो खुद जिस्म बेचने के अलावा बड़े पैमाने पर रेकेट चलाती है...इनमे से लगभग सभी के ठिकानों की खबर पुलिस को है चूँकि कई साहेब इन कॉल गर्ल्स से सेवा लेते रहते है इस कारण धंधा बे-रोकटोक चल रहा है....पुलिस वाले समय-समय पर जिन जिस्म्फरोशो और जिस्म बेचने वालो को पकड़कर कारवाही का दंभ भरती है वो सब साधक छाप वेश्याये है जो मजबूरी में धंधा करती है और पुलिस वालो की मांग पूरी नही कर पाने की एवज में थानों तक ले आई जाती है....बड़े-बड़े फार्म हाउस और रिहायशी इलाको में जिस्म के कारोबार में लगे बड़े कारोबारी हर वक्त हवस पूरी कर रहे है...इस धंधे में बड़े घर की महिलाए,युवतियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रखा है...महंगे शौक और रोजमर्रा की जरुरत के लिए हर वक्त कहीं न कहीं किसी बड़े घर की बहु,बेटी भी वही काम कर रही है जिसे शनिचरी या बृहस्पति बाजार में सड़क के किनारे बैठी वेश्या करती है बस फर्क इतना ही है की सड़क के किनारे देहव्यापार करने वाले गुनाह के दायरे में आ जाते है और जो रिहायशी मकानों,फॉर्म हाउस,होटलों और कालेशिशे लगी महंगी गाड़ियों में हर घडी होता है वो खाकी के संरक्षण में शौक पूरा करने का काम किया जाता है....बिलासपुर में कई ऐसे सफेदपोश भी है जो कांग्रेस,भाजपा में बड़े ओहदेदार होने का दंभ भरते है मगर उसकी आड़ में देह बिकवाकर रूपये कमाने से गुरेज नही करते,कई तो ऐसे नेता है जिनकी उम्र जिस्म नुचवाने में गुजर गई...पर ऐसे ठिकाने और ऐसे लोग पुलिस के हमकदम नजर आते है...ऐसे में गुनाहगार केवल गरीब को बनाना और उसे ही वेश्या कहना जो अपने परिवार के भरण पोषण के लिए सड़क के किनारे बैठी हर घडी ग्राहक का इन्तेजार करती है ....!!!
आप लोग मुझे ये जरुर बताइए की क्या गुनाह वो नही है जो रईसजादे कर रहे है....? क्या गुनाह वो नही है जिनकी बहु बेटिया केवल शौक पूरा करने के लिए कपडे उतार रही है...? क्या गुनाहगार वो खाकी नही है जो सब जानकर केवल और केवल मुह देखी कारवाही करती है....?