Monday, 18 July 2011

...और कितने गेंगरेप

वो महज १४ साल की है...उसका गुनाह केवल इतना है की उसने कम उम्र में इश्क कर लिया...वो आज़ाद पंछी की तरह प्रेमी की बांहों में बान्हे डालकर घूमना चाहती थी...उसे लगा जैसे ख्वाब पूरे होने लगे है तभी अचानक कुछ भेड़िये रास्ता रोक लेते है और प्रेमी के सामने ही उस मासूम के अरमानो को रौदने का सिलसिला शुरू हो जाता है...बारी बारी से तीन दरिन्दे उस मासूम की अस्मत को तार-तार करते है पास ही रस्सियों से बंधा प्रेमी कुछ नही कर पाता है...मासूम लड़की की इज्जत लूटने वाले भेड़िये मौके से भाग जाते है,कुछ बच जाता है तो बस जिन्दगी भर तिल-तिल कर मारने वाला दर्द और एक ऐसी ख़ामोशी जिसे चाहकर भी किसी को नही बताया जा सकेगा...सामूहिक बलात्कार की रिपोर्ट लिखकर पुलिस जांच जारी होने की बात कह रही है और सियासी लोग एक दूसरे पर बयानों की तलवार चला रहे है...इस सूबे का मुखिया मासूम के साथ हुए गेंगरेप की घटना की निंदा करता है तो विपक्ष यानी कांग्रेसी कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे है...
              इतनी लाइनों को पढ़कर हो सकता है आप सोचे किसी फिल्म या नाटक की स्क्रिप्ट है जिसमे ड्रामा,क्लाइमेक्स,सस्पेंस और भरा-पूरा मनोरंजन है लेकिन ये लाइने जिन्दगी की हकीकत से वास्ता रखती है...ये लाइन उस गुनाह से पर्दा उठाती है जिसमे सत्ताधारी सुरमा भय मुक्त शासन,प्रशासन देने का वायदा करते है...जी हाँ,जिस राजधानी की सडको पर ना रौशनी की कमी है ना लोगो के चहलकदमी की वहां से महज २० किलोमीटर दूर उपरवारा गाँव में १६ जुलाई की शाम १४ साल की पायल{बदला हुआ नाम}तीन बदमाश उसी के प्रेमी की आँखों के सामने बारी-बारी से बलात्कार करके भाग जाते है और क़ानून के रखवाले रिपोर्ट लिखवा दिए जाने के ३६ घंटे बाद तक किसी ठोस नतीजे पर नही पहुँच पाती है...जाहिर है पुलिस का सूचना तंत्र कितना मजबूत है अंदाजा लगाया जा सकता है...!
                  पिछले कुछ बरस में सामूहिक बलात्कार की कई घटनाओं ने पहले ही कानून व्यव्स्था पर सवाल खड़े कर रखे है...करीब करीब तीन साल पहले नंदनवन के पास अटारी गाँव में कुछ लोगो ने एक महिला के पति को बंधक बनाकर उसका बलात्कार किया...इसी तरह १४ फरवरी २०११ यानी साल की शुरुवात में धरसींवा कुरा के पास इंजीयरिंग कालेज के छात्रो ने गाँव की एक लड़की से सामूहिक दुष्कर्म किया...
     मै बिलासपुर [बिल्हा] के पौंसरी गाँव में रहने वाली उस युवती की चीख-पुकार भी नही भूला हूँ जिसने अपने साथ हुए जुल्म की दास्ताँ को किस तरह से पुलिस के सामने बया किया था...पिछले साल जुलाई महीने की ही तो घटना है...मुझे तारीख ठीक से याद नही है पर महिना याद है,अपने परिजनों के साथ महाराष्ट्र से वापस बिल्हा लौटी सुमन[बदला हुआ नाम]को अँधेरे का फायदा उठाकर ६ लोगो ने बलात्कार किया था...उस मामले में पुलिस ने ५ आरोपी पकड लिए थे लेकिन स्कूली छात्र के साथ गेंग रेप करने वाले ३ बदमाश अब भी क़ानून को चिढाते खुली हवा में साँसे ले रहे है...गुनाह की ना ख़त्म होने वाली सड़क पर दौड़ लगाते गुनहगार बेशक नही समझ पा रहे है की सलाखे उनके इन्तजार में ना कमजोर होने वाली है ना क़ानून में उनके गुनाहों की सजा माफ़ी है....हाँ ये जरुर है खाकी ओढ़े दबंग उस पीड़ित को न्याय दिलाने के लिहाज से डायरी बनाते है या फिर बलात्कारी से मोटी रकम लेकर मामले को रफा-दफा कर देते है...? ऐसे कई सवाल है जो बार बार यही कहते है कि...गुनाह बाकी है...!

Sunday, 17 July 2011

गुनाहगार कौन ? खाकी,रईसजादे या फिर...

देहव्यापार का कारोबार वैसे तो बरसो पुराना है,हाँ ये जरुर है की बदलते वक्त के साथ जिस्म का कारोबार जितनी तेजी से फला-फुला उतनी ही तेजी से उसके तौर तरीको में भी बदलाव आया...आज हाईटेक तरीके से जिस्म का कारोबार हो रहा है...जिस काम को बरसो पहले जाति,वर्ग विशेष या फिर बेहद जरूरतमंद महिलाए किया करती थी वो अब शौक के साथ साथ रूपये कमाने का सबसे आसान तरीका बन चूका है...आज इन्टरनेट के जरिये देश,विदेश की कॉलगर्ल्स बड़ी ही आसानी से उपलब्ध है...हाईटेक हो चुके दलाल एडवांस बुकिंग करते है और निर्धारित जगह पर कालगर्ल पहुंचा दी जाती है...अब तो कई मोबाइल कंपनियों ने थ्री जी की सेवाए उपलब्ध करा दी है लिहाजा जिस्म का सौदा करने में और भी आसानी हो गई है....वैसे भी इस देश में सूचना क्रान्ति का असल उपयोग अपराध से वास्ता रखने वालो ने ही किया है...अब इन्टरनेट और मोबाइल के जरिये जिस्म बिक जाता है और क़ानून के रखवाले बेबस.लाचार थानों में बैठे सूचना आने का इन्तजार करते है...
                                            बिलासपुर शहर में देहव्यापार के कारोबार ने बेहद तेजी से पाँव पसारा है,प्रमाण की जरुरत नही है क्यूंकि पुलिस की कई कारवाही ने शहर में मुंबई,कोलकाता,दिल्ली और दूसरे प्रान्तों की लड़कियों को पकड़कर साफ़ कर दिया है छत्तीसगढ़ गरीबो का प्रान्त नही रहा...मै ये मानता हूँ की राज्य बनने के बाद जितनी तेजी से कुछ सड़कछाप नव कुबेर बने ठीक उसी तरह से जिस्म नोचने वाले इंसान रूपी भेड़ियों की जैसे बाढ़ सी आ गई...कल के कुछ स्थानीय अखबारों में एक खबर छपी थी जिसमे उल्लेख था की पुलिस ने राजकिशोर नगर के एक रिहायशी मकान में दबिश देकर दो लड़की,तीन ग्राहक और एक महिला को गिरफ्तार कर पीटा एक्ट के तहत कारवाही की गई है...हमारे जैसे खबरनवीश कहलाने वालो के लिए वो केवल खबर थी,लेकिन जिन लोगो का बाजार की गतिविधिओ से ज्यादा वास्ता नही है वो खबर उनके लिए थोड़ी सी आश्चर्य वाली है....वो लोग सोचने लगते है की महज ११ साल का छतीसगढ़ इतनी तेजी से महानगरीय परम्परा के आवरण से ढका जा रहा है...? ऐसे कई सवाल है जो शहर के संभ्रांत लोगो को कुछ और सोचने पर मजबूर कर देते है...मगर जिस्म के कारोबारियों और रुपयों की हवस मिटाने के लिए कहीं भी किसी के भी साथ हम बिस्तर होने को मचलती वेश्याओ को वैसी खबरों से खास फर्क नही पड़ता...पड़े भी क्यूँ...? कानून के रखवाले बने चन्द वर्दी वालो ने उन नामचीन वेश्याओ को और उनके दलालों को पनाह जो दे रखी है...
             कुछ लोग मेरी इस दलील से सहमात न भी हो मगर ये हकीकत है की शहर और आस-पास की सरहद में जिस्म का कारोबार बिना खाकी के आशीर्वाद से नही फल-फूल सकता...हाँ ये दीगर बात है की समय-समय पर कारवाही के नाम पर कुछ काल गर्ल्स और एक्का-दुक्का दलालों को पकड़कर क़ानून के वो कथित रखवाले "देश भक्ति-जनसेवा" कर देते है...सरकंडा पुलिस की खासकर वहां के थानेदार साहेब की हाल ही की एक करतूत मुझे याद आ गई...पिछले महीने उन्हें किसी मुखबिर के जरिये सूचना हुई की इलाके के विज्यापुरम में भारत सिन्धी नाम का एक बन्दा फलेट लेकर बड़े पैमाने पर जिस्म की बिक्री कर रहा है...दरोगा बाबू के कान खड़े हुए और देखते ही देखते जिस्म बेचने वाला वो सिन्धी युवक दो महिलाओ के साथ हवालात ले आया गया...चूँकि दरोगा बाबू की नियत में खोट था इस कारण मिडिया से खबर को छिपाने की कोशिश की गई,हालांकि खबरे अखबारों में  छपी,चैनलों में दिखाई गई मगर वो जिस्म का दलाल कहीं से कहीं तक नजर नही आया क्यूंकि खाकी पहने उस दरोगा ने उसे अपना रिश्तेदार बना लिया था...जी हाँ जिस्म बिकवाने वाले दलाल से बिका वो दरोगा अकेला नही है,जिले के कई थानों में वैसे कर्तव्य निष्ठ थानेदार पड़े है...
                          शहर में सीमा,निशा,उषा,सोफिया,पायल नेहा,और ना जाने कितनी मशहूर कॉल गर्ल्स है,जो खुद जिस्म बेचने के अलावा बड़े पैमाने पर रेकेट चलाती है...इनमे से लगभग सभी के ठिकानों की खबर पुलिस को है चूँकि कई साहेब इन कॉल गर्ल्स से सेवा लेते रहते है इस कारण धंधा बे-रोकटोक चल रहा है....पुलिस वाले समय-समय पर जिन जिस्म्फरोशो और जिस्म बेचने वालो को पकड़कर कारवाही का दंभ भरती है वो सब साधक छाप वेश्याये है जो मजबूरी में धंधा करती है और पुलिस वालो की मांग पूरी नही कर पाने की एवज में थानों तक ले आई जाती है....बड़े-बड़े फार्म हाउस  और रिहायशी इलाको में जिस्म के कारोबार में लगे बड़े कारोबारी हर वक्त हवस पूरी कर रहे है...इस धंधे में बड़े घर की महिलाए,युवतियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रखा है...महंगे शौक और रोजमर्रा की जरुरत के लिए हर वक्त कहीं न कहीं किसी बड़े घर की बहु,बेटी भी वही काम कर रही है जिसे शनिचरी या बृहस्पति बाजार में सड़क के किनारे बैठी वेश्या करती है बस फर्क इतना ही है की सड़क के किनारे देहव्यापार करने वाले गुनाह के दायरे में आ जाते है और जो रिहायशी मकानों,फॉर्म हाउस,होटलों और कालेशिशे लगी महंगी गाड़ियों में हर घडी होता है वो खाकी के संरक्षण में शौक पूरा करने का काम किया जाता है....बिलासपुर में कई ऐसे सफेदपोश भी है जो कांग्रेस,भाजपा में बड़े ओहदेदार होने का दंभ भरते है मगर उसकी आड़ में देह बिकवाकर रूपये कमाने से गुरेज नही करते,कई तो ऐसे नेता है जिनकी उम्र जिस्म नुचवाने में गुजर गई...पर ऐसे ठिकाने और ऐसे लोग  पुलिस के हमकदम नजर आते है...ऐसे में गुनाहगार केवल गरीब को बनाना और उसे ही वेश्या कहना जो अपने परिवार के भरण पोषण के लिए सड़क के किनारे बैठी हर घडी ग्राहक का इन्तेजार करती है  ....!!!
                     आप लोग मुझे ये जरुर बताइए की क्या गुनाह वो नही है जो रईसजादे कर रहे है....? क्या गुनाह वो नही है जिनकी बहु बेटिया केवल शौक पूरा करने के लिए कपडे उतार रही है...? क्या गुनाहगार वो खाकी नही है जो सब जानकर केवल और केवल मुह देखी कारवाही करती है....? 

Friday, 15 July 2011

बेवफा आशिक,कातिल किन्नर और परेशान पुलिस

चकरभाठा पुलिस को २ जुलाई को खबर मिली की उसलापुर के पास एक बंद मकान से काफी तेज बदबू आ रही है...सूचना पर मौक़ा-ऐ-वारदात पर पहुंची पुलिस ने तफ्तीश के बाद बंद मकान का  ताला तुडवाया और भीतर जो देखा वो बेहद घिनौना था....भीतर चादर से ढंकी एक लाश जिस पर कीड़ो ने कब्जा जमा लिया था पड़ी हुई थी ...विवेचना के दौरान पहली नजर में ये साफ़ हो गया की लाश कम से कम तीन दिन पुरानी है...तेज दुर्गन्ध के बीच ये भी कोशिशे जारी थी की आखिर लाश किसकी है...? कुछ ही देर में पुलिस ने ये भी पता लगा लिया की मरने वाला जार्ज नाम का शख्स है...इधर कमरे के भीतर पड़ी लाश की शिनाख्तगी होते ही पुलिस के सामने सारी की सारी कहानी खुली किताब की तरह थी...पुलिस ने मकान मालकिन यानी शकीला किन्नर की तलाश शुरू की तो पता चला की वो दो दिन से यहाँ आई ही नही है...पुलिस को लोगो ने मृतक और शकीला के रिश्तो के बारे में बताया फिर ये खबर भी मिल गई की शकीला का भांजा जयराम और दिलहरण हत्याकांड की कुछ परतो से पर्दा उठा सकते है,सो पुलिस ने जयराम को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की सारी कहानी चंद मिनटों में समझ आ गई...
                           दरअसल मृतक जार्ज,शकीला किन्नर का ऑटो चलाता था...इसी बीच किन्नर शकीला से उसके नाजायज रिश्ते बन गए जिसे प्यार का नाम देकर हवस पूरी की जाती रही...इधर वक्त के साथ जार्ज का मन शकीला से उबने लगा था...जो अधिकाँश वक्त शकीला की बांहों में गुजारता वो कई-कई दिनों तक उसका दीदार करने से बचने लगा...जार्ज शकीला की खुबसूरत अदाओं दीवाना जरुर था मगर जिन्दगी भर का साथ वो किसी और के साथ चाहता था....जब शकीला को जार्ज की बदली बदली बातें और आचरण में रूखापन नजर आया तो वो हकीकत जान्ने की कोशिश में जुट गई...हकीकत सामने आई तो शकीला के पैरो टेल की जमीन खिसक गई...उसे मालुम हुआ की वो जिस जार्ज से मोहब्बत करती है वो किसी और की चाहत में सड़क नाप रहा है तो उसने उसे रास्ते से हटाने की योजना बना ली...पुलिस की पकड़ में आ चुके शकीला के भांजे जयराम ने बताया की २९ तारीख की रात शकीला ने जार्ज को घर बुलाया,इसके बाद दोनों ने जमकर शराब पी...इसी बीच दोनों के झगडे का शोर पड़ोस तक सुनाई पड़ने लगा...लोगो ने उस शोर को इसलिए नजरअंदाज कर दिया क्यूंकि अक्सर दोनों के बीच लड़ाई हुआ करती थी...
                    आशिक की बेवफाई में पागल शकीला देखते ही देखते जुर्म की दुनिया से रिश्तेदारी कर बैठी...शराब के नशे में चूर शकीला ने पास रखी टंगिया उठाई और जार्ज पर तब-तक हमला करती रही जब तक उसकी साँसे नही छुट गई...इसके बाद लाश को भांजे की मदद से पलंग के नीचे छिपाकर दोनों ने वहीँ रात काट दी...सुबह होते ही शकीला मकान में ताला बंद कर कहीं निकाल गई...बंद कमरे के भीतर रखी लाश जब सड़ गई  तो लोगो को खबर हुई और पुलिस बुलवाई गई...पुलिस ने क़त्ल का मामला दर्ज कर जयराम को २ जुलाई को ही पकड़ लिया था मगर शहर और आस-पास कई ठिकानों पर दबिश देने के बावजूद शकीला का अबतक कोई सुराग नही मिल सका है....शकीला के सभी संभावित ठिकानों पर दबिश दे चुकी पुलिस दुसरे प्रान्तों में संपर्क कर रही है और शकीला की तस्वीरे कई पुलिस थानों में भेज दी गई है...
                                                      इस हत्याकांड ने एक बार फिर प्यार के नाम पर हवस मिटाने वाले नाजायज रिश्तो की परिणिति सामने ला दी है...इस मामले में मैंने आस-पास रहने वाले कुछ लोगो से बातचीत भी की,सबका यही कहना था की शारीरिक भूख तो शकीला किसी से भी मिटा सकती थी मगर उसने जार्ज से प्यार किया था और अक्सर वो उसके बदलते मिजाज से परेशान रहती थी... किन्नर शकीला की दास्ताने मोहब्बत भले ही समाज कबूल नही करता मगर आशिक की बेवफाई से खफा शकीला ने क़त्ल करके जुर्म की काली किताब में अपना नाम जरुर लिखवा लिया है....पुलिस शकीला को तलाश रही है और शकीला अपनी जमात में छिपने के ठिकानों की तलाश में यहाँ वहां भाग रही है.....मगर कब तक....क्योंकि गुनाह बाकी है....!!!!    

Thursday, 14 July 2011

ना कातिल मिले,न नौकरी...

आज सुशील का जन्म दिन है,पिछले जन्म दिन पर वो हमारे बीच था,अब नही है...बिलासपुर की फिजा में दहशत और गोली बारूद की गंध फैलाने वालो ने सुशील का सीना २० दिसंबर २०१० की रात छलनी कर दिया था...अज्ञात हत्यारों ने एक के बाद एक कई गोलिया सुशील पर दाग दी...बिलासपुर ही नही प्रदेश के इतिहास में लोकतंत्र पर इतनी आजादी से हमला करने का ये पहला मामला था...सुशील की हत्या किसने की...?हत्या के पीछे क्या वजह है...?वो कौन लोग है जिन्होंने लोकतंत्र के एक मजबूत खम्भे को बीच सड़क पर धराशाई कर दिया...?इसे कई सवाल है जिनको खोजने की कोशिशे पिछले सात महीने से चल रही है...पत्रकार की हत्या हुई तो सरकार ने भी काफी हमदर्दी दिखने की कोशिशे की...बिलासपुर की पुलिस के अलावा राजधानी से एक अलग पुलिस टीम यहाँ आई और काफी दिनों तक कातिल और क़त्ल में प्रयुक्त हथियार तलाशने की कवायद करती रही....इस बीच पुलिस ने बादल खान नाम के एक व्यक्ति को क़त्ल का आरोपी भी बनाया जिससे ये कबूल करवा लिया गया की सुशील को उसी ने गोली मारी है...मगर खाकी की इस कहानी को अखबारनवीश समझ चुके थे,क्योंकि पुलिस के पास वो रिवाल्वर नही थी जिससे हत्या की गई...पुलिस सुशील का मोबाईल भी नही खोज सकी,लिहाजा क़त्ल के आरोप में खाकी की बनाई कहानी कोर्ट में कमजोर पड़ गई और बादल खान जमानत पर छूट गया...
                    सुशील हत्याकांड में पुलिस की भूमिका शुरू से संदेह के दायरे में रही...पुलिस ने क़त्ल वाली जगह को सील करने की बजाय खून के छीटो को पानी से धुलवा दिया...आनन्-फानन में लाश मौके से उठवाकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी गई...इस पूरे घटनाक्रम में तफ्तीश की शुरुवात में फोरेंसिक एक्सपर्ट को नही बुलाया गया...कातिलो के गुनाह के सारे निशान एक-एक कर खुद पुलिस ने लापरवाही में मिटा दिए..इधर क़त्ल के बाद गुजरते वक्त से जितनी दूर कातिल होते जा रहे थे उतना ही गुस्सा प्रेस जगत और आवाम में उबाल मारता जा रहा था...लिहाजा कई मांगो,धरना प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री ने सुशील हत्याकांड की जांच के लिए सी.बी.आई.को पत्र लिखा जिसे दो महीने के इन्तजार के बाद सी.बी.आई.ने ठुकरा दिया...इधर सुशील की बेवा को नौकरी देने की मांग भी मानकर जिले के अफसरों को मुख्यमंत्री ने खुद दिशा-निर्देश दिए मगर आज बड़े दुःख के साथ लिखना पड़ रहा है की ना कातिलो का कोई सुराग मिला न सुशील की बेवा को नौकरी मिली...
                      जिन लोगो का खून सुशील के क़त्ल के बाद उबाल मार रहा था वो अब ठंडा पड़ चूका है...इधर सी.बी.आई. ने मामला नही लेने का पत्र राज्य सरकार को भेज ही दिया है लिहाजा वो ही पुलिस फिर जांच की खाना पूर्ति करेगी जिन्होंने क़त्ल के सुराग अपने ही हाथो मिटा दिए....पिछले दिनों मुंबई के सीनियर पत्रकार जे.डे.की हत्या का मामला जब सामने आया तो मुंबई पुलिस ने उसे चुनौती मानते हुए जांच शुरू की और कुछ ही दिनों में अलग-अलग राज्यों से गुनाहगार पकड़ कर ले आई,मगर छत्तीसगढ़ खासकर बिलासपुर पुलिस से वैसी उम्मीद करना यक़ीनन बईमानी होगी...बात सिर्फ इतने पर ही नही ख़त्म होने वाली क्योंकि ....गुनाह बाकी है....!