वो महज १४ साल की है...उसका गुनाह केवल इतना है की उसने कम उम्र में इश्क कर लिया...वो आज़ाद पंछी की तरह प्रेमी की बांहों में बान्हे डालकर घूमना चाहती थी...उसे लगा जैसे ख्वाब पूरे होने लगे है तभी अचानक कुछ भेड़िये रास्ता रोक लेते है और प्रेमी के सामने ही उस मासूम के अरमानो को रौदने का सिलसिला शुरू हो जाता है...बारी बारी से तीन दरिन्दे उस मासूम की अस्मत को तार-तार करते है पास ही रस्सियों से बंधा प्रेमी कुछ नही कर पाता है...मासूम लड़की की इज्जत लूटने वाले भेड़िये मौके से भाग जाते है,कुछ बच जाता है तो बस जिन्दगी भर तिल-तिल कर मारने वाला दर्द और एक ऐसी ख़ामोशी जिसे चाहकर भी किसी को नही बताया जा सकेगा...सामूहिक बलात्कार की रिपोर्ट लिखकर पुलिस जांच जारी होने की बात कह रही है और सियासी लोग एक दूसरे पर बयानों की तलवार चला रहे है...इस सूबे का मुखिया मासूम के साथ हुए गेंगरेप की घटना की निंदा करता है तो विपक्ष यानी कांग्रेसी कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे है...
इतनी लाइनों को पढ़कर हो सकता है आप सोचे किसी फिल्म या नाटक की स्क्रिप्ट है जिसमे ड्रामा,क्लाइमेक्स,सस्पेंस और भरा-पूरा मनोरंजन है लेकिन ये लाइने जिन्दगी की हकीकत से वास्ता रखती है...ये लाइन उस गुनाह से पर्दा उठाती है जिसमे सत्ताधारी सुरमा भय मुक्त शासन,प्रशासन देने का वायदा करते है...जी हाँ,जिस राजधानी की सडको पर ना रौशनी की कमी है ना लोगो के चहलकदमी की वहां से महज २० किलोमीटर दूर उपरवारा गाँव में १६ जुलाई की शाम १४ साल की पायल{बदला हुआ नाम}तीन बदमाश उसी के प्रेमी की आँखों के सामने बारी-बारी से बलात्कार करके भाग जाते है और क़ानून के रखवाले रिपोर्ट लिखवा दिए जाने के ३६ घंटे बाद तक किसी ठोस नतीजे पर नही पहुँच पाती है...जाहिर है पुलिस का सूचना तंत्र कितना मजबूत है अंदाजा लगाया जा सकता है...!
पिछले कुछ बरस में सामूहिक बलात्कार की कई घटनाओं ने पहले ही कानून व्यव्स्था पर सवाल खड़े कर रखे है...करीब करीब तीन साल पहले नंदनवन के पास अटारी गाँव में कुछ लोगो ने एक महिला के पति को बंधक बनाकर उसका बलात्कार किया...इसी तरह १४ फरवरी २०११ यानी साल की शुरुवात में धरसींवा कुरा के पास इंजीयरिंग कालेज के छात्रो ने गाँव की एक लड़की से सामूहिक दुष्कर्म किया...
मै बिलासपुर [बिल्हा] के पौंसरी गाँव में रहने वाली उस युवती की चीख-पुकार भी नही भूला हूँ जिसने अपने साथ हुए जुल्म की दास्ताँ को किस तरह से पुलिस के सामने बया किया था...पिछले साल जुलाई महीने की ही तो घटना है...मुझे तारीख ठीक से याद नही है पर महिना याद है,अपने परिजनों के साथ महाराष्ट्र से वापस बिल्हा लौटी सुमन[बदला हुआ नाम]को अँधेरे का फायदा उठाकर ६ लोगो ने बलात्कार किया था...उस मामले में पुलिस ने ५ आरोपी पकड लिए थे लेकिन स्कूली छात्र के साथ गेंग रेप करने वाले ३ बदमाश अब भी क़ानून को चिढाते खुली हवा में साँसे ले रहे है...गुनाह की ना ख़त्म होने वाली सड़क पर दौड़ लगाते गुनहगार बेशक नही समझ पा रहे है की सलाखे उनके इन्तजार में ना कमजोर होने वाली है ना क़ानून में उनके गुनाहों की सजा माफ़ी है....हाँ ये जरुर है खाकी ओढ़े दबंग उस पीड़ित को न्याय दिलाने के लिहाज से डायरी बनाते है या फिर बलात्कारी से मोटी रकम लेकर मामले को रफा-दफा कर देते है...? ऐसे कई सवाल है जो बार बार यही कहते है कि...गुनाह बाकी है...!
इतनी लाइनों को पढ़कर हो सकता है आप सोचे किसी फिल्म या नाटक की स्क्रिप्ट है जिसमे ड्रामा,क्लाइमेक्स,सस्पेंस और भरा-पूरा मनोरंजन है लेकिन ये लाइने जिन्दगी की हकीकत से वास्ता रखती है...ये लाइन उस गुनाह से पर्दा उठाती है जिसमे सत्ताधारी सुरमा भय मुक्त शासन,प्रशासन देने का वायदा करते है...जी हाँ,जिस राजधानी की सडको पर ना रौशनी की कमी है ना लोगो के चहलकदमी की वहां से महज २० किलोमीटर दूर उपरवारा गाँव में १६ जुलाई की शाम १४ साल की पायल{बदला हुआ नाम}तीन बदमाश उसी के प्रेमी की आँखों के सामने बारी-बारी से बलात्कार करके भाग जाते है और क़ानून के रखवाले रिपोर्ट लिखवा दिए जाने के ३६ घंटे बाद तक किसी ठोस नतीजे पर नही पहुँच पाती है...जाहिर है पुलिस का सूचना तंत्र कितना मजबूत है अंदाजा लगाया जा सकता है...!
पिछले कुछ बरस में सामूहिक बलात्कार की कई घटनाओं ने पहले ही कानून व्यव्स्था पर सवाल खड़े कर रखे है...करीब करीब तीन साल पहले नंदनवन के पास अटारी गाँव में कुछ लोगो ने एक महिला के पति को बंधक बनाकर उसका बलात्कार किया...इसी तरह १४ फरवरी २०११ यानी साल की शुरुवात में धरसींवा कुरा के पास इंजीयरिंग कालेज के छात्रो ने गाँव की एक लड़की से सामूहिक दुष्कर्म किया...
मै बिलासपुर [बिल्हा] के पौंसरी गाँव में रहने वाली उस युवती की चीख-पुकार भी नही भूला हूँ जिसने अपने साथ हुए जुल्म की दास्ताँ को किस तरह से पुलिस के सामने बया किया था...पिछले साल जुलाई महीने की ही तो घटना है...मुझे तारीख ठीक से याद नही है पर महिना याद है,अपने परिजनों के साथ महाराष्ट्र से वापस बिल्हा लौटी सुमन[बदला हुआ नाम]को अँधेरे का फायदा उठाकर ६ लोगो ने बलात्कार किया था...उस मामले में पुलिस ने ५ आरोपी पकड लिए थे लेकिन स्कूली छात्र के साथ गेंग रेप करने वाले ३ बदमाश अब भी क़ानून को चिढाते खुली हवा में साँसे ले रहे है...गुनाह की ना ख़त्म होने वाली सड़क पर दौड़ लगाते गुनहगार बेशक नही समझ पा रहे है की सलाखे उनके इन्तजार में ना कमजोर होने वाली है ना क़ानून में उनके गुनाहों की सजा माफ़ी है....हाँ ये जरुर है खाकी ओढ़े दबंग उस पीड़ित को न्याय दिलाने के लिहाज से डायरी बनाते है या फिर बलात्कारी से मोटी रकम लेकर मामले को रफा-दफा कर देते है...? ऐसे कई सवाल है जो बार बार यही कहते है कि...गुनाह बाकी है...!