Monday, 8 August 2011

सोती पुलिस,सहमी जनता और बेख़ौफ़ दहशतगर्द !

गुनाह के लाल छीटो से एक बार  फिर संस्कारधानी के लोग थर्रा उठे है ! दास्ताने-जुर्म की इबारत में हर दिन नया अध्याय जोड़ने वाले गुनाहगारो ने रविवार-सोमवार की रात जहां कोतवाली इलाके में रहने वाले तेंदुपत्ता व्यापारी जगदीश केडिया के घर में घुसकर खून की होली खेली वहीँ शाम होते-होते सिविल लाइन इलाके में एक व्यापारी के घर में जनगणना अधिकारी बनकर घुसे लूटेरों ने दहशतगर्दी का नंगा नाच नाचा !  गुनाहगारो के नापाक मंसूबो से आवाम की नीद हराम हो चुकी है वही पुलिस वारदात के बाद अपराधियों की परछाई खोजने में वक्त जाया कर रही है ! शहर में दुसरे प्रान्तों से आये दहशत गर्द बेख़ौफ़ घूम रहे है और क़ानून के रखवाले वाहन चेकिंग,मोबाइल चोरी,सट्टा,जुआ के मामलो को सुलझाकर अपने कर्तव्यो की इतिश्री समझ रही है !
      गुनाह के खुनी पंजो की एक करतूत की खब़र सोमवार की सुबह कोतवाली पुलिस को लगती है ! पुलिस को बताया जाता है की बिहारी टाकिज के पास रहने वाले मशहूर तेंदुपत्ता व्यापारी जगदीश केडिया के घर में कुछ लोगो ने क़त्ल कर डकैती की कोशिश की है ! बड़े व्यापारी के घर में क़त्ल और डकैती की खब़र से खाकी के माथे पर परेशानी की सलवटो के बीच पसीना बहना शुरू हो जाता है ! आनन्-फानन में कोतवाल समेत कई थानों के पुलिस वाले मौका -ए -वारदात पर पहुँच जाते है,इधर एक के बाद एक अधिकारियों की आवाजाही से इलाके के लोग और राहगीर वारदात की गंभीरता से वाकिफ होने लगते है ! मौके पर तफ्तीश में जुटी पुलिस को घर में सबसे पहले एक बिस्तर नजर आता है जो खून के रंग से भीगा हुआ था !  बिस्तर और जमीन पर बिखरे खून से रंगे घर की बिल्ली के पग चिन्ह पुलिस को उस ठिकाने तक पहुंचा देते है जहां कातिलो ने क़त्ल के बाद लाश फेंक दी थी !  कातिलो ने घर के पीछे ही झाड़ियों में उस नौकर की लाश को फेंक दिया था जो केडिया परिवार का ३० बरस पुराना वफादार मुलाजिम था ! लाश दिलहरण ठाकुर की थी जो शहर से करीब २० किलोमीटर दूर सीपत के पास का रहने वाला था,लाश को झाड़ियों के बीच से निकलवाकर पंचनामा करवाई में जुटी पुलिस के आला अधिकारी घर में बिखरे सामान और हर कमरों की तलाशी में जुटे थे ! हर कदम पर सुराग तलाशती पुलिस को इसी दौरान ये पता चला की  घर का दुसरा नौकर जो करीब १५ दिन पहले ही आया है वो गायब है,ये सुचना पुलिस के लिए राहत देने वाली थी ! फरार नौकर कृष्णा यादव की तलाश में पुलिस की एक टीम तत्काल मोपका और उसके संभावित ठिकानों की ओर निकल पड़ी ! इधर व्यवसाई परिवार का ५ अगस्त से शहर के बाहर होना और नए नौकर का सुनियोजित तरीके से क़त्ल कर देना सबको हैरत में डालता रहा ! विवेचना के दौरान पुलिस ने सम्भावना जाहिर की कि कातिल एक नही कई है और नए नौकर के साथ मिलकर लूट कि बड़ी वारदात को अंजाम देना चाहते थे चूँकि दिलहरण ने विरोध किया इस कारण मार दिया गया होगा ! तमाम संभावनाओ पर तफ्तीश करती पुलिस काफी परेशान नजर आई ! पुराना हाईकोर्ट के पास कहे या फिर एक प्रतिष्टित समाचार पत्र के दफ्तर के करीब रिहायशी मकान में क़त्ल हुआ,फिर लाश को घर के पीछे ले जाकर झाड़ियों में छिपा दिया गया और बड़ी ही सफाई से कातिल मौके से फरार  भी हो गए जबकि चंद कदमो की दूरी पर यानी गांधी चौक पर खाकी रात्री गश्त का दावा करती है ! ऐसे में कई सवाल खाकी की रात्री गश्त पर भी खड़े करती है ! पर जवाब मांगने वाला कोई नही है इसी कारण दास्ताने जुर्म की इबारतो में इजाफा हो रहा है ! 
             क़त्ल जैसी संगीन वारदात की तफ्तीश में जुटी पुलिस कृष्णा की तलाश में भटक ही रही थी की शाम होते-होते सिविल लाइन इलाके के मिनोचा कालोनी में एक व्यवसाई के घर तीन युवक जनगणना अधिकारी बनकर पहुँच जाते है,घर में अकेली महिला उनकी बातो में आकर घर का दरवाजा जैसे ही खोलती है वो महिला की आँख में मिर्च पावडर डालकर लूट की कोशिश में जुट जाते है ! आँख में पड़े मिर्च पावडर की वजह से व्यवसाई की पत्नी लक्ष्मी मोटवानी जोर-जोर से चिलाने लगती है जिसकी चिल्लाहट सुनकर पड़ोस के लोग उसके घर की ओर पहुचने लगते है ! लोगो को घर की ओर आता देख तीनो लुटेरे बाउंड्री वाल कूदकर भाग जाते है,इधर खौफ से थर्राती लक्ष्मी जब तक घरवालो को सूचना देकर बुलाती,जब तक मोटवानी परिवार जुर्म की रिपोर्ट लिखवाने सिविल लाइन थाने पहुँचती तब-तक आरोपी पुलिस की गिरफ्त से दूर जा चुके थे हालांकि पुलिस आरोपियों को जल्द से जल्द सलाखों के पीछे डाल देने का दावा कर रही है ! सवाल ये खड़ा होता है की जिस वक्त मोटवानी परिवार के घर में लूट की नियत से तीन आरोपी घुसे उस वक्त शाम के ४ बज रहे थे,यक़ीनन वारदात का वक्त आरोपियों की बेखौफियत का प्रमाण देती है वही उनको ये जानकारी भी थी कि शाम चार बजे घर में महिला अकेली होती है...खैर ऍसी कई वारदाते है जिन्होंने पुलिस कि कार्यशैली और उनकी सक्रियता के साथ-साथ उनके मजबूत सूचना तंत्र की गवाही दी है ! आज के हालत बयान करते है की अपराधियों के बूटो की धमक से जनता खौफ के साए में जी रही है और गरीब मजलूमों पर क़ानून का पट्टा बरसाने वाले दबंग चैन की नीद सो रहे है ! बढ़ते जरायम को देखकर यक़ीनन कहा जा सकता है  आने वाले समय में रास्तो पर चेहरों पर चेहरा लगाए दहशतगर्द घूमते नजर आयेंगे और आम जनमानस घरो में दुबककर घर की रखवाली करती जान बचाने की कोशिश में जुटी रहेगी ! दास्ताने जुर्म के पन्नो पर अब भी कई अनसुलझे मामले है जिनकी तफ्तीश पुलिस कर रही है !
प्रमुख बड़ी वारदातें
> 16 मई 2010 : मिनोचा कालोनी में जूता व्यवसायी प्रकाश मोटवानी के घर 10 नकाबपोशों ने 111 तोला सोना और 3 लाख नगद सहित 25 लाख की डकैती डाली।
> 14 फरवरी 2010 : छठघाट में पुजारी चंद्रमौली उदासीन उर्फ खड़ेश्वरी बाबा से मारकर दो लाख की लूट।
> 18 मार्च 2010 : दोपहर को जबड़ापारा में बाइक सवार सतानंद से 3 लाख रुपए की लूट

> 14 जुलाई 2010 : गुरु विहार में रिटायर्ड एसईसीएल कर्मी एनएन गायन के मकान में दिनदहाड़े 3 लाख की डकैती।

Thursday, 4 August 2011

खून से सनी पटरियां और अँधेरे का सीना चीरती चीख...

बिलासपुर के तारबाहर फाटक पर मंगलवार रात ऐसा मंजर दिखा कि किसी की भी रूह कांप उठे। रेलवे ट्रैक के किनारे एक महिला खून से लथपथ पड़ी थी। एक हाथ और एक पैर उसके शरीर से अलग पटरियों के बीच थे।शरीर से खून की धार बह रही थी, पर वह अपने नहीं, बेटी के दर्द से तड़प रही थी। दो कदम दूर ट्रैक पर उसकी बेटी का सिर धड़ से अलग और बाकी शरीर चार टुकड़ों में पड़ा था। महिला चीख-चीखकर यही कह रही थी कि बेटी ने उसे बचाने अपनी जान दे दी।तारबाहर रेलवे फाटक मंगलवार रात दिल दहला देने वाली घटना का गवाह बना। बैक हो रही चेन्नई-बिलासपुर एक्सप्रेस ने बंगला यार्ड में रहने वाली मंगमा (65 वर्ष) और उनकी बेटी पी प्रमिला (35 वर्ष) को चपेट में ले लिया। हादसे में प्रमिला की मौके पर ही मौत हो गई। मंगमा की हालत गंभीर बनी हुई है।हालाकि मंग्मा की स्थिति बेहद नाजुक है और डॉक्टर भी कुछ कहने से फिलहाल बच रहे है,इधर दर्द से कराहती  मंगमा ने बताया कि वह अपनी बेटी प्रमिला के साथ प्रकाश नाम के किसी व्यक्ति की बर्थ-डे पार्टी में गोविंदनगर गई थी। रात करीब 11 बजे दोनों लौट रहे थे। दोनों एक साथ तारबाहर फाटक पार कर ही रहे थे, तभी यार्ड की ओर से अचानक ट्रेन आ गई। ट्रेन बैक हो रही थी, इसलिए सामने से लाइट नजर नहीं आई। जब तक वे कुछ समझ पाते, ट्रेन एकदम नजदीक आ गई। उनके पास ट्रैक से हटने का भी वक्त नहीं था। तभी प्रमिला ने उन्हें पूरी ताकत लगाकर ट्रैक से बाहर धकेल दिया। वे गिर भी नहीं पाई थीं कि ट्रेन आ गई। इसके बाद वह कुछ भी नहीं बोल पाई। वह बार-बार यही कह रही थी कि बेटी ने मुझे बचाने अपनी जान दे दी। ट्रेन की चपेट में आने से प्रमिला का सिर धड़ से अलग हो गया। उसका एक हाथ भी कट गया। वहीं मंगमा का एक हाथ और एक पैर भी कट गया। 
                      हादसा इतना भयावह था कि प्रमिला की लाश और मंगमा के शरीर की हालत देखकर फाटक पार करने के लिए खड़े कुछ लोग असहज हो गए। लोगों ने बताया कि एक युवक तो गश खाकर गिर पड़ा। ट्रैक पर हर तरफ खून नजर आ रहा था। प्रमिला और मंगमा के शरीर के हिस्से भी आसपास चीथड़ों में पड़े थे।हादसे की बड़ी वजह फाटक पर पसरा घुप अंधेरा भी है। असल में जब ट्रेन सामने से आती है, तो हेडलाइट की रोशनी से लोगों को इसका पता चल जाता है। हादसे के वक्त चेन्नई-बिलासपुर एक्सप्रेस बैक हो रही थी, इसलिए मां-बेटी को ट्रेन के आने का पता ही नहीं चल पाया। अगर फाटक पर पर्याप्त रोशनी होती, तो शायद वे ट्रेन को आते देख लेते और उनकी जिंदगी बच जाती।

                                       तारबाहर फाटक के पास पहले भी बड़े हादसे हो चुके हैं। हाल ही में 20 जुलाई को सरकंडा निवासी गोलू यादव की यहीं पर ट्रेन से कटकर जान चली गई थी। कुछ महीनों पहले 19 सितंबर को वायरलेस कॉलोनी में रहने वाले रेलवे कर्मी कार्तिक की यार्ड के पास मौत हो गई थी। वह भी ट्रेन की चपेट में आ गए थे। बीते अप्रैल में एक युवक की ट्रेन से कटकर मौत हो गई थी। इससे पहले भी यहां कई ऐसे हादसे हो चुके हैं।आधा शरीर कटा, पर हौसला नहीं खोया: मंगमा के शरीर का एक हिस्सा ट्रेन से कट गया था। उसका एक हाथ और एक पैर पूरी तरह शरीर से अलग हो गया, फिर भी उसने हौसला नहीं खोया। वह बार-बार अपनी बेटी का नाम लेकर विलाप कर रही थी। उसने अपना नाम, पता और बेटे का नाम भी बताया। उसने बताया कि बेटा पुखराज आंध्रा स्कूल में काम करता है। वह हाथ उठाकर आसपास खड़े लोगों से मदद की गुहार कर रही थी।मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि घटना के वक्त तारबाहर फाटक के पार जीआरपी के तीन-चार जवान मौजूद थे। मंगमा ट्रेन से कटकर तड़प रही थी, पर जवान सिर्फ तमाशबीन की तरह कुछ दूर खड़े रहे। फिर वे चले गए। भीड़ में मौजूद एक शख्स ने जीआरपी के अफसरांे को घटना की सूचना दी। करीब आधे घंटे बाद एंबुलेंस पहुंची, पर उसमें भी घायल वृद्धा को उठाने के लिए स्ट्रेचर नहीं था। एंबुलेंस भी लौट गई। फिर से करीब आधे घंटे बाद एंबुलेंस लौटी और घायल को उठाकर रेलवे अस्पताल पहुंचाया गया।

                                     व्यस्ततम ट्रैफिक होने के बाद भी तारबाहर फाटक पर रोशनी की कमी है। लगभग दो सौ मीटर वाले फाटक के दोनों किनारे पर एक-एक हैलोजन लगाया गया है, जिसकी रोशनी दूसरी, तीसरी लाइन पर सिमट जाती है। मंगलवार की घटना के पीछे एक बड़ा कारण अंधेरा था। यार्ड से बैक हो रही ट्रेन अंधेरे में नजर नहीं आई और प्रमिला की नजर ट्रेन पर पड़ी तब तक देर हो चुकी थी।

Wednesday, 3 August 2011

एक बार फिर दीनदयाल आवास में...

क बार फिर दीनदयाल आवास के दो मकानों से तीन युवतियों व दो युवकों को मोहल्ले के लोगों ने संदिग्ध हालत में मंगलवार की देर रात पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया...सिविल लाइन पुलिस उनसे हमेशा की तरह पूछताछ कर रही है...हालांकि मैंने अपनी पुरानी पोस्ट के जरिये भी इस तरह के जरायम पर पोलिसे की विवेचना पर काफी कुछ कहा है.... दीनदयाल आवास के मकान नंबर एलआईजी 456 व 151 में पिछले कुछ दिनों से संदिग्ध युवक-युवतियों का आना-जाना था...मोहल्ले के लोगों ने एकजुट होकर उन्हें पकड़ने की योजना बनाई, रात को लोगों ने क्वार्टर नंबर 456 से 2 युवतियों व एक युवक और एलआईजी 151 से एक युवती व एक युवक को संदिग्ध हालत में पकड़ा....इस बात से आप अंदाजा लगा सकते है की खाकी कितनी मुस्तेद है...?दीनदयाल कालोनी में कुछ सभ्य लोग गलती से मकान बनवा चुके है इस कारण अपनी सुरक्षा के साथ साथ आस-पास के वातावरण को भी साफ़-सुथरा बनाए रखने का जिम्मा अपने कंधो पर उठाये हुए है...लोगो ने जब देह व्यापार से जुडी महिलाओ और तीन लडको को पोलिसे को दिया तो खाकी अपराध कायमी में व्यस्त हो गई...इधर  पुलिस की पूछताछ में एक युवक ने अपना नाम सुनील कुमार और दूसरे ने रमेश कुमार बताया... युवतियों के नामों का खुलासा नहीं किया गया है....पकड़ी गई  युवतियां चकरभाठा क्षेत्र की हैं...
                                                     सबसे बड़ी बात ये की जिन मकानों से लोगो ने देहव्यापार करने वाली महिलाओ को पकड़ा उसे युवतियां ने लम्बे समय से किराए पर ले रखा था....नई सुबह के साथ नए ग्राहकों का इन्तजार करती लडकिया वेश-भूषा से कॉल गर्ल नही लगती,मगर आज देहव्यापार में उन्ही की आमदरफ्त ज्यादा है जिनकी कल्पना जल्दी नही की जा सकती...शहर के गीतांजलि अपार्टमेन्ट जैसे कई रिहायशी इलाको में बड़ी-बड़ी नामचीन काल गर्ल्स बड़े पैमाने पर रेकेट चला रही है मग़र पुलिस तब ही कोई कारवाही में हाथ डालती है जब उसे लगता है की बदनाम वर्दी पर एक और दाग लग जायेगा...खैर शहर के आउटर में दीनदयाल कालोनी शहर की सबसे असुरक्षित कालोनी है... यहां आए दिन आपराधिक घटनाएं होती रहती हैं... पुलिस ने यहां किराए से मकान लेकर रह रहे कई बड़े मामलों के आरोपियों को गिरफ्तार किया है.... कुछ महीनों से यहां देह व्यापार भी शुरू हो गया है, इससे मोहल्ले के लोग त्रस्त हैं....देखते है लोगो की सक्रियता से पकड़ी गई काल गर्ल्स के मामले में पुलिस कारवाही के नाम पर और कितने रैकेट चलाने वालो को सलाखों के पीछे डालती है...?